ध‘ांर्धता, भेदभाव, व{ष्‘ता, गरीबी, द‘न, शोषण

प{छले ६९ वर्षाें के लंबे अंतराल ‘ें भी ह‘ अपने देश को ध‘ांर्धता, भेदभाव, व{ष्‘ता, गरीबी, द‘न, शोषण से ‘ुक्ती नहीं द{ला पाए हैं. वोटिंग ग्रा‘ीण व{भागों ‘ें हो रही है और व{कास शहरी व{भागों ‘ें हो रहा है. कुल {‘लाकर ‘ानस{क, सा‘ाज{क, और आथ{र्क क्षेत्र ‘ें संतुल{त व{कास न होने के कारण देश ‘ें एक राष्ट्रीङ्म कुंठा का न{‘ार्ण हुवा है ज{सकी अभ{व्ङ्मक्ती सोशल ‘ीड{ङ्मा पर गाहे-ब-गाहे होती रहती हैं. ऐसी ही अभ{व्ङ्मक्ती २८ स{तंबर के बाद राष्ट्रीङ्म स्तर पर प्रकट हुई है. उरी के सेना के ठ{काने पर पाक{स्तानी आतंक{ङ्मों द्वारा २८ स{तंबर को क{ए गए ह‘ले ‘ें १९ जवानों के शहीद होने के बाद पूरे देश ‘ें पाक{स्तान के ख{लाङ्क ग‘ व गुस्से की लहर दौड गई है. लोगों ‘ें पाक{स्तान को सीधे सबक़ स{खाने की राष्ट्रीङ्म भावना देखी गई है. ज{न‘ें ‘ुसल‘ान भी शा{‘ल हैं. ‘गर जंग न क{ए जाने की ‘जबुरी को स‘झ लेने के बाद जनता का गुस्सा भारतीङ्म ‘ुसल‘ानों पर ङ्कूट पड़ा है. सोशल ‘ीड{ङ्मा पर ‘ुसल‘ानों को खूब ताने द{ए जा रहे हैं. उनका ‘ज़ाक उडाङ्मा जा रहा है. इतना ही नहीं ‘ुसल‘ानों की राष्ट्रन{ष्ठा के बारे ‘ें सवाल उठाए जा रहे हैं. अङ्कसोस की बात तो ङ्मे है के उन सवालों के ‘ाकूल जवाब देने के ल{ए ‘ुसल‘ानों की तरङ्क से कोई भी खात{र ख्वाह लोग सोशल ‘ीड{ङ्मा पर सक्र{ङ्म नज़र नहीं आ रहे हैं. ‘ुसल‘ानों की राष्ट्रन{ष्ठा पर सवाल{ङ्मा न{शान लगाना कुछ सांप्रदाङ्म{कता ‘ानस{कता रखनेवालों की पुरानी आदत है. ह‘ेशा से ‘ुसल‘ान ङ्मे ताना सुनते आए हैं. इसल{ए इस सप्ताह ‘ैंने ज़रुरी स‘झा के इस ताने का जवाब द{ङ्मा जाए. ङ्मे जवाब देना इसल{ए भी ज़रुरी है के सोशल ‘ीड{ङ्मा पर जो बातें होती हैं वो द{ल से कही जाती हैं. वहां द{गा‘ का उपङ्मोग नहीं क{ङ्मा जाता. औपचार{कता का बंधन न रहने के कारण सच बात न{कल जाती है. सोशल ‘ीड{ङ्मा पर क{ए गए कॉ‘ेंटस् जन‘ानस पर गहरा असर छोडते हैं. इसल{ए ङ्मे ज़रुरी है के इन लोगों को जवाब द{ङ्मा जाए. तो चल{ए देखते हैं के क्ङ्मा भारतीङ्म ‘ुसल‘ानों के राष्ट्रन{ष्ठा पर जो सवाल उठाए जा रहे हैं वो उच{त हैं? वैसे ङ्मे बहस बहुत ज्ङ्मादा ङ्कैल जाङ्मेगी अगर ह‘ इसे क{सी कालखंड के दाङ्मरे ‘ें स{{‘त नहीं कर देते. इसके ल{ए ह‘ चर्चा को आज़ादी से बाद के ६९ सालों तक ही ‘हेदुद (स{{‘त) रखेंगे. इन द{नों ‘ुसल‘ानों के राष्ट्रीङ्म आचरण का ब्ङ्मौरा नीचे द{ङ्मा जा रहा है.
पार्श्वभू‘ी
            आज बहुसंख्ङ्मां हिंदु भाई ध‘र्न{रपेक्ष हैं. ध‘र्न{रपेक्षता ह‘ारे देश की धरोहर है. सह{ष्णुता हिंदु ध‘र् का बलस्थान रहा है. ज{से आजकल क‘ज़ोरी के रुप ‘ें पेश क{ङ्मा जा रहा है. संकीर्ण व{चारसरणी के लोग इतनी सी बात नहीं स‘झ पा रहे है के जो ध‘र् हजार वर्ष ‘ुसल‘ानों की हुकू‘त और डेढ सौ वर्ष अंग्रेज़ों की हुकू‘त ‘ें नष्ट नहीं हुवा वो अब बहुसंख्ङ्मं हिंदुओं के नेतृत्व ‘ें चल रहे हुकू‘त ‘ें कैसे नष्ट हो सकता है? देश इसके ल{ए हिंदु भाईङ्मों का आभारी है के उन्होंने ‘ुसल‘ानों के प्रत{ व{शेष सह{ष्णुता बरती. इस‘ें ‘हात्‘ा गांधी से लेकर रा‘ पुन{ङ्मानी तक हजारों लोगों के ना‘ ल{ए जा सकते हैं. ‘गर प{छले चंद वर्षाें से व{शाल सह{ष्णु हिंदु ध‘र् का रुपांतर संकीर्ण हिंदुत्व ‘ें कर द{ङ्मा गङ्मा है. इस व{चार धारा का प्रभाव प{छले चंद वर्षाें ‘ें, खासकर २०१४ के बाद बढ़ा है. इन्हीं लोगों ‘ें से चंद लोगों ने सोशल ‘ीड{ङ्मा के ज़रीए ‘ुसल‘ानों की हुब्बुल वतनी (देशप्रे‘) पर सवाल{ङ्मा न{शान खडे क{ए हैं. ङ्मही लोग है जो व{भाजन के ल{ए स{र्ङ्क ‘ुसल‘ानों को दोषी ‘ानते हैं. आज़ाद ‘ुस्ल{‘ ‘ुम्लीकत (र{ङ्मासत) की ‘ांग बहुसंख्ङ्मांक ‘ुसल‘ानों ने कभी नहीं की थी. इस सत्ङ्म को ङ्मे लोग स‘झना ही नहीं चाहते. तत्काल{न बद‘ाश ब्र{ट{श नेतृत्व की कूटनीत{, ‘हात्‘ा गांधी और सरदार पटेल की राजनीत{, नेहरु और एडव{ना ‘ाऊंट बॅटन के बीच के स्नेह संबंध, उन संबंधों का लॉर्ड ‘ाऊंट बॅटन पर पड़ा प्रभाव, बॅर{स्टर जीना की अत{‘हत्वकांक्षा, ‘ुठ्ठीभर ‘ुस्ल{‘ ज‘ीनदारों की अलग ‘ुल्क की ‘ांग और नेहरु के प्रधान‘ंत्री पद के रास्ते ‘ें ‘ौजूद बॅरीस्टर जीना रुपी स‘स्ङ्मा को दूर करने की ‘जबुरी जैसे कई कारण थे ज{स कारण भारत का व{भाजन हुवा. संकीर्ण व{चारधारा के लोग इन कारणों के तरङ्क देखते तक नहीं.
            गुजरात ‘ें २००२ ‘ें जो हुवा, २००८ ‘ें ओरीसा ‘ें इसाईङ्मों के व{रुध्द जो हुवा, २०१२ ‘ें आसा‘ ‘ें ‘ुसल‘ानों के साथ जो हुवा, ‘ुजफ्ङ्करनगर ‘ें २०१४ ‘ें जो हुवा, भागलपूर, भोपाल, ‘ल{हाना, ‘ुरादाबाद, ‘ुंबई, ‘ालेगांव, भ{वंडी, धुल{ङ्मा, अलीगढ और औरंगाबाद ‘ें जो ङ्कसाद हुए इसके बावजूद भी ‘ुसल‘ान चुप रहे. आज़ादी के बाद से एक वर्ष भी दंगा ‘ुक्त वर्ष नहीं गुजरा. ‘ुसल‘ानों ने इसे अपना ‘ुकद्दर स‘झकर सह ल{ङ्मा. कभी व्ङ्मवस्था के व{रुध्द बगावत करने की नहीं सोंची. पांच प्रत{शत आरक्षण तक ‘ुसल‘ानों को नहीं द{ङ्मा गङ्मा. तब भी ‘ुसल‘ान चुप रहे. ‘ुसल‘ानों ने अपने नेतृत्व का गला घोटकर हिंदु नेतृत्व पर व{श्वास क{ङ्मा. पर{णा‘ क्ङ्मा हुवा? गरीबी, बेरोज़गारी, भुख‘री ‘ुसल‘ानों को {‘ली. सैंकडों ‘ुस्ल{‘ ङ्मुवाओं का ङ्कर्ज़ी ‘ुठभेडों ‘ें एन्काऊंटर क{ङ्मा गङ्मा सैंकडों ङ्मुवाओं को आतंकवाद के झूठे आरोप ‘ें वर्षाें तक जेलों ‘ें सडा द{ङ्मा गङ्मा. आज भी देश की अच्छी बस्तीङ्मों ‘ें ‘ुसल‘ानों को घर नहीं {‘लते. जालना के अन्सार अहे‘द को पुना ‘ें स्पर्धा परीक्षा की तङ्मारी के ल{ए शुभ‘ बनकर रहना पड़ा. दादरी के अखलाक़ को गो‘ांस रखने के शक पे घर ‘ें घुसकर ‘ार द{ङ्मा गङ्मा. पुना के ‘ोहस{न शेख को न‘ाज़ से वापस होते स‘ङ्म रोककर ब{ला वजह क़त्ल कर द{ङ्मा गङ्मा. ङ्क{र भी ‘ुसल‘ान चुप रहे देश के वङ्कादार रहे. ‘ुसल‘ानों ने कभी कश्‘ीर के आतंकवाद{ङ्मों के प्रत{ सहानभूत{ नहीं द{खलाई. ‘ुसल‘ानों को जब जब भी देश ने ‘ौक़ा द{ङ्मा उन्होंने उसका बेहतरीन बदला द{ङ्मा. ‘ुसल‘ानों ने राजनीत{ के क्षेत्र ‘ें देश को अबुल कला‘ आझाद से लेकर गुला‘ नबी आझाद तक सैंकडों नेता द{ए. रक्षा व{ज्ञान के क्षेत्र ‘ें अबुल पाक{र जैनुल आबेद{न अब्दुल कला‘ को द{ङ्मा ज{न्होंने अग्नी, पृथ्वी, नाग, पीनाक जैसे {‘जाईल बनाए ङ्मे जानते हुए भी के जब कभी इनका उपङ्मोग क{ङ्मा जाङ्मेगा पाक{स्तान के व{रुध्द क{ङ्मा जाङ्मेगा. देश को पर‘ाणु संपन्न बनाने के ल{ए उन्होंने ‘हत्वपूर्ण भू{‘का अदा की. तीन सूटकेस लेकर वे राष्ट्रपत{ भवन ‘ें गए वहां पांच वर्ष रहे और तीन सूटकेस लेकर ही वहां से बाहर आए. देश को जब भी लहू की ज़रुरत पड़ी सेना ‘ें ‘ौजूद ‘ुसल‘ानों ने अपने खून का नज़राना पेश क{ङ्मा. पाक{स्तान की स‘झ ‘ें आज तक ङ्मे बात नहीं आङ्मी के अकेले अब्दुल ह‘ीद ने १९६५ की जांग ‘ें उस स‘ङ्म के बेहतरीन स‘झे जाने वाले पाक{स्तान के कई पॅटन टँक कैसे उडा द{ए? १९९९ ‘ें हुई कारगील जंग ‘ें कॅप्टन हन{ङ्कुद्दीन ने शहदत का जा‘ प{ङ्मा. दो साल पहले हैदराबाद के रहने वाले स{पाही सरङ्कराज खान ने ‘ंजूर शूदा ईद की छुट्टी को रद्द करके पोस्ट पर डटे रहने का ङ्कैसला क{ङ्मा और शहीद हो गए. इतना ही नहीं तीन ङ्करवरी २०१६ को स{ङ्माच{न ‘ें बर्ङ्क ‘ें दबकर शहीद होने वाले दस जवानों ‘ें कर्नुल के ‘क़सुद अहे‘द शा{‘ल थे.‘ुसल‘ानों ने ना तो ‘हात्‘ा गांधी की हत्ङ्मा की ना ही इंद{रा गांधी की, न सरदार ब{ङ्मांतसिंग की हत्ङ्मा की न राजीव गांधी की. ना ही आरक्षण के ल{ए जाटों जैसा हिंसक आंदोलन करके ‘ह{लाओं पर सा‘ुह{क बलात्कार क{ए न तीस हजार करोड़ की राष्ट्रीङ्म संपत्ती को जलाङ्मा. ना ही गुज्जरों जैसे आठ आठ द{न रेलवे की पटर{ङ्मों पर बैठकर प्रशासन को ठप्प क{ङ्मा ना ही हाद{र्क पटेल के कार्ङ्मकर्ताओं की तरह पुल{सवाले पर ह‘ले क{ए. ‘ुसल‘ानों ने न तो ह{स्सार के रा‘पाल जैसे आश्र‘ खोलकर उस‘ें हत्ङ्मारबंद सैन{कों को पोसा ना ही ‘थूरा के जवाहर बाग के रा‘वृक्षपाल की तरह हिंसक अड्डा बनाङ्मा. उन्होंने न तो लैंगीक चॅटिंग के बदले देश के राज व{देशों ‘ें बेचे न सेना के गोदा‘ से आर.डी.एक्स. चुराङ्मा. ‘ुसल‘ानों ने न तो टू-जी घोटाला क{ङ्मा ना कोङ्मला घोटाला. उलटे उन्होंने कभी ए.आर. रहे‘ान बनकर देश के ल{ए ऑस्कर लाङ्मा तो कभी शाहरुख खान बनकर चेन्नई के बाढ पीड{तों को करोड़ों की ‘दद की. वो कभी ब{स्‘ील्लाहखान बन गए और शहनाई की सूरों से देश की पव{त्रता ‘ें इजाङ्का क{ङ्मा तो कभी आ‘ीर खान बनकर जलङ्मुक्त श{वार के ‘ाध्ङ्म‘ से सूखाग्रस्त गांवों की ‘दद की. कभी जावेद अख्तर बनकर देश को ‘धूर गीत द{ए तो कभी ‘ुहम्‘द रङ्की बनकर देश के कानों ‘ें रस घोला. कभी नवाब ‘ंसूर अली खान पतौडी से लेकर ‘ुहम्‘द श‘ी तक बेहतरीन क्र{केटर देश को द{ए तो कभी सल‘ानखान बनकर बीइंर्ग ह्यू‘न के ‘ाध्ङ्म‘ से कॅन्सर पीड{तों की ‘दद की.ङ्मे ‘ोटी-‘ोटी बातें थीं जो ङ्माद आ गई वर्ना तङ्कस{ल से इस व{षङ्मी पर सोंचा गङ्मा तो कई खंडों की क{ताब बन सकती हैं. सारांश न{ङ्म{‘तरुप से होते रहे ङ्कसाद, क़द‘ क़द‘ पर होने वाला भेदभाव, राजाश्रङ्म का आभाव, ‘ीड{ङ्मा का दुजाभाव, घोर गरीबी, पुल{स की लगातार होने वाली ज्ङ्मादत{ङ्मां इन सबको बर्दाश्त करते हुए भी ‘ुसल‘ानों ने कभी इस देश की व्ङ्मवस्था से बगावत नहीं की. दूसरी कोई क़ौ‘ होती तो बागी हो जाती. इस्ला‘ी श्रध्दा ने ‘ुसल‘ानों को इतने स{त‘ सहने के बावजूद अपने देश से वङ्कादार रख्खा. वतन से ‘ुहब्बत इ‘ान का लाज़‘ी (अन{वार्ङ्म) जुज (घटक) है.